Nadi Janeu (नादी जनेऊ) Abhimantrit

3,100.00

अभिमंत्रित नाड़ी जनेऊ नाथ योगियों की पवित्र परंपरा का एक महत्वपूर्ण कवच है, जो छोटी दीक्षा के दौरान शिष्य को सौंपा जाता है। यह विशेष तकनीक से 8 बेहतरीन काले ऊन के धागों से बुना गया है, जो नाद (या शब्द-ब्रह्म), तीन प्रमुख ऊर्जा चैनल (इड़ा, पिंगला, सुषुम्ना), छह चक्रों और शरीर के गुणों और दोषों के साथ जुड़ा हुआ है।
नाड़ी जनेऊ केवल एक पवित्र कवच नहीं है, बल्कि यह आत्मविकास और आध्यात्मिक परिवर्तन का प्रतीक है। इस जनेऊ को धारण करने से शिष्य की मनो-शारीरिक संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन आता है।

नोट : चांदी में भी नादी जनेऊ उपलब्ध है।

नादि जनेऊ

इतिहास और परंपरा: नाथ योगियों की परंपरा में, नाड़ी जनेऊ आत्मज्ञान और गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक है। यह धागा शिष्य को गुरु से प्राप्त होता है और यह एक लंबी साधना और समर्पण का परिणाम होता है। इसे पहनने से शिष्य का मनो-शारीरिक ढांचा परिवर्तित होता है, जो उन्हें उच्चतर आध्यात्मिक यात्रा की ओर अग्रसर करता है।

निर्माण प्रक्रिया:

  • धागा: यह विशेष धागा काले भेड़ के ऊन से बना होता है, जिसकी लंबाई 12.5 हाथ होती है। इसे 16 पतले धागों से बुनकर बनाया जाता है और इस दौरान विशेष जनेऊ मंत्रों का जाप किया जाता है। यह प्रक्रिया कई महीनों तक चलती है।
  • ब्रह्मा गाँठ: इस गाँठ को बांधने से इसे 64 योगिनियों, छह यतियों और ब्रह्मा, विष्णु, महेश और शक्ति का आशीर्वाद मिलता है। यह एक आंतरिक शक्ति का प्रतीक है।

सामग्री और प्रतीकवाद:

  • पवित्रा: सूर्य का प्रतीक और प्राण का स्रोत, जीवन के सभी तत्वों का आधार।
  • स्फटिक: जल तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो शांति और शुद्धता का प्रतीक है।
  • रुद्राक्ष: अग्नि तत्व का प्रतीक है, जो ऊर्जा और साहस का प्रतीक है।
  • मूंगा: वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, जो परिवर्तन और लचीलापन का प्रतीक है।
  • नादि/नाड़ी: आकाश और नाद (ध्वनि) का प्रतीक, जो ब्रह्मांडीय ध्वनि और ध्यान का माध्यम है।

आध्यात्मिक प्रक्रिया: अभिमंत्रित नाड़ी जनेऊ का धारण गुरु के निर्देशन में किया जाता है। नाड़ी आदेश केवल धुना के सामने किया जाता है, जो एक विशेष धार्मिक प्रक्रिया है। यह योगी को प्राण को अपने शरीर और चेतना में नियंत्रित करने का तरीका सिखाता है, जिससे वे आंतरिक ध्वनि “अनाहत-नाद” की पहचान कर उसमें गहराई तक जा सकते हैं, जिसे नादनुसंधान कहा जाता है।

उपयोग और साधना: नाड़ी जनेऊ को धारण करने के बाद, शिष्य को सतगुरु के निर्देशन में नियमित साधना करनी होती है। यह साधना जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने और आत्मिक विकास की दिशा में प्रगति करने में सहायक होती है। नाड़ी जनेऊ का उपयोग गुरु, देवताओं, और समाधि की पूजा में किया जाता है, जो साधक को दिव्यता और ऊर्जा का अनुभव कराता है।

Nadi Janeu

The Abhimantrit Nadi Janeu is a special sacred thread within the ancient tradition of Nath Yogis, bestowed upon disciples during Choti Diksha. This thread is intricately woven from 8 fine black wool strands and is associated with Nada (or Shabda-Brahman), the three main energy channels (Ida, Pingala, Sushumna), six chakras, and the gunas and doshas of the body.

History and Tradition: In the tradition of Nath Yogis, the Nadi Janeu symbolizes enlightenment and the Guru-disciple relationship. This thread, received from the Guru, is the culmination of dedicated practice and devotion. Wearing it transforms the disciple’s psychophysical structure, guiding them toward a higher spiritual journey.

Making Process:

  • Thread: This special thread is made from black sheep wool, measuring 12.5 hands long. It is woven from 16 thin threads while chanting specific Janeu mantras, a process that can take months.
  • Brahma Knot: Tying this knot blesses it with the powers of 64 Yoginis, six Yatis, and deities like Brahma, Vishnu, Mahesh, and Shakti, symbolizing inner strength.

Components and Symbolism:

  • Pavitra: Symbolizes the sun and the source of prana, the foundation of all life elements.
  • Crystal (Sphatik): Represents the element of water, symbolizing peace and purity.
  • Rudraksha: Represents the element of fire, symbolizing energy and courage.
  • Coral: Represents the element of air, symbolizing change and flexibility.
  • (Nadi): Symbolizes akasha and sound (nāda), serving as a medium for cosmic sound and meditation.

Purpose and Benefits:

  • Spiritual Protection: Provides protection against lower astral forces like bhutas and pretas.
  • Pranayama and Meditation: Assists in controlling prana and deepening meditation practices, enhancing focus and self-discipline.
  • Recognition of Inner Sound: Helps identify the anahata-nada, leading to mind dissolution and self-realization.
  • Chakra and Energy Balance: Supports the balance of chakras and energy channels, promoting harmony in body and mind.

Spiritual Practice: The Abhimantrit Nadi Janeu is worn under the guidance of a Guru. The Nadi Adesh is performed only in front of the Dhuna, a special religious ceremony. It teaches the yogi how to control prana within their body and consciousness, enabling them to recognize the inner sound “anahata-nada” and delve deeply into it, known as nadanusandhana.

Usage and Sadhana: After receiving the Nadi Janeu, the disciple must engage in regular practice under the Guru’s supervision. This practice facilitates positive change and progress toward spiritual growth. The Nadi Janeu is used in the worship of the Guru, deities, and Samadhi, allowing the practitioner to experience divinity and energy.

Detailed:

The Nadi Janeu is a sacred emblem within the Nath Yogi tradition, offering a profound pathway for spiritual transformation and energy balance. This black woolen thread, intricately woven from 8 finest strands, is associated with Nada or Shabda-Brahman, the three primary energy channels (Ida, Pingala, Sushumna), and the six chakras.

Crafted with meticulous care, the Nadi Janeu embodies the five elements through its symbolic adornments: the Pavitra, crystal, rudraksha, coral, and Nadi. These elements represent the sun, water, fire, air, and akasha, respectively, making the janeu a powerful tool for spiritual advancement.

The process of receiving and wearing the Nadi Janeu is a transformative experience. During Choti Diksha, the disciple’s psychophysical structure undergoes significant changes, enhancing their ability to regulate prana and consciousness. Through the guidance of a Guru, the yogi learns to direct prana into the sushumna, recognizing the inner sound, anahata-nada, and diving deeper into it, a practice known as nadanusandhana.

The Nadi Janeu also provides spiritual protection through its specific mantra, safeguarding the wearer from lower astral forces. This sacred thread is a testament to the Nath Yogi tradition’s deep spiritual heritage, promoting self-growth, balance, and enlightenment.

विशेष

यह कवच व्यक्ति विशेष के नाम एवं कार्य विशेष से विशेष मन्त्रों द्वारा अभिमंत्रित करके दिया जाता है।

प्रेषण अवधि

किसी भी सामग्री को अभिमंत्रित करने में 2 दिन का समय लग सकता है, इस वजह से सामग्री आर्डर प्राप्ति से 2 दिन बाद याने तीसरे दिन कोरियर द्वारा भेजी जाएगी एवं उसकी सुचना कोरियर रसीद के साथ आपको मेसेज, व्हाट्सएप्प या कॉल पर देदी जाएगी ।

सामग्री हेतु अस्वीकरण अनुरोध

हमारी तरफ से सामग्रियाँ पूर्णतः शुद्ध और ऊर्जान्वित ( अभिमंत्रित ) करके दी जाती है, उनका परिणाम व्यक्ति की भावना, उद्देश्य एवं सदउपयोग पर निर्भर करता है। 100 में से 99 लोगो को इसका अच्छा परिणाम मिलता है, अपितु किसी 1 को नहीं भी मिल पाता, व्यक्ति किस उद्देश्य या भावना से इसका उपयोग करना चाहता है, यह उसकी नीयत, गृह दशाएं, भाग्य, एवं प्रारब्ध पर निर्भर करता है। यदि उद्देश्य या भावना सही नहीं है और प्रकृति या भगवान की मर्जी किसी काम में नहीं रहती, तो इसका परिणाम नहीं भी मिल पाता । हमारी तरफ से सामग्री को ऊर्जान्वित करने में कोई कमी नहीं रहती, व इसका सकारात्मक परिणाम मिलना ना मिलना ये भगवान के हाथ में है, हम केवल भगवान के सेवक मात्र है स्वयं भगवान नहीं, कर्म करना हमारा काम है फल देना भगवान के हाथ में है, कोई भी सामग्री या वस्तु केवल आपकी सहायता मात्र है पूर्णतः सामग्रियों और उपायों के अधीन ना रहें, धन्यवाद।

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